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Durga Raksha Kavach

(Durga Saptsati)

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AmbeJi

Maa Durga Raksha Kavach
(A part of Durga Saptsati)

जय माँ जय माँ जय जय माँ, जय जय माँ
जय जय जगदम्बे भवानी
जय जय दुर्गति हारिणी माँ
भक्तो का दुःख हरने वाली
दुष्टो की संघार्नि माँ
भक्तो का दुःख हरने वाली
दुष्टो की संघार्नि माँ
जय जय जगदम्बे भवानी
जय माँ जय माँ जय जय माँ जय जय माँ
जय माँ जय माँ जय जय माँ जय जय माँ

एक बार मार्कण्डे पुत्र ने ब्रह्मा से की प्रार्थना
हे विधि जन रक्षा को दीजिये कोई दुर्लभ साधना
एक बार मार्कण्डे पुत्र ने ब्रह्मा से की प्रार्थना
हे विधि जन रक्षा को दीजिये कोई दुर्लभ साधना
ब्रह्मा बोले, सुनो ओ ब्राह्मण,
प्रदान जग कल्याण का
अनुपम कवच है ये देवी का,
रक्षक सबके प्राण का
अनुपम कवच है ये देवी का,
रक्षक सबके प्राण का

जय जय जगदम्बे भवानी
जय जय दुर्गति हारिणी माँ
भक्तो का दुःख हरने वाली
दुष्टो की संघार्णी  माँ
भक्तो का दुःख हरने वाली
दुष्टो की संघार्णी  माँ
जय जय जगदम्बे भवानी
जय माँ जय माँ जय जय माँ जय जय माँ
जय माँ जय माँ जय जय माँ जय जय माँ

प्रथम शैलपुत्री जग जननी दूजी ब्रह्म चारिणी माँ
तीजी हैं चंद्र घंटा मैया चौथी है कुष्मांडा माँ ,
पांचवी है स्कंदमाता जी है छठी है कात्यायनी माँ
सातवीं कालरात्रि देवी आठवीं महागौरी माँ
नवीं सिद्धिदात्री माँ दुर्गा, नवदुर्गा कहलाती है
ऐ नवदुर्गा देवी सदैव सबके कष्ट मिटाती है
अग्नि में जलता हो कोई, अग्नि में जलता हो कोई,
या शत्रु से घिरा रन में
संकट विषम नष्ट हो जाते जग जननी के चिंतन में
माँ के भक्त मुक्त रहते है सदा भयंकर पापो से
रोग दोष भय शोक व्यथा से और विपदा संतापों से
देवी के चिंतन में जो नर, सदैव रेन भिगोता हैं
सुख समृद्धि सद बर में उसका मंगल होता है
प्रेत सवारी पर चामुंडा भैसे पर वाराही माँ
हाथी पर ऐंद्रि माँ सोहे गरूड़ासन पर वैष्णवी माँ
माहेश्वरी बैल पर बैठी मोर सवार है कौमारी
कमलासन पर लक्ष्मी माता, श्री नारायण की प्यारी
श्वेत रूप धर ईश्वर देवी वृष आसान पर स्थापित है
हंस सवारी पर ब्रह्मानि भूषण वस्त्र अलंकृत है
इस प्रकार ये सभी देवियां, योग शक्ति संपन्न है
अनुपम वस्त्रों से रत्नो से सजी धजी आछँद है
रथ पर बैठी देख रही है सभी क्रोध से बंधी हुई
शंक चक्र गदा हल शक्ति को,
मुसल लेकर खड़ी हुई
शंख त्रिशूल किए धारण
उत्तम दिव्य असाधारण
सर्व नाश दैत्यों का करना भक्तो की रक्षा करना
मात्र यही उद्देश्य सभी का अस्त्र शास्त्र धारण करना
नमो नमो माँ रौद्र रूपिणी नमो पराक्रम रूपिणी माँ
अति उत्साहिनी अति बल शालिनी नमो घोर भय नाशिनी माँ
जय जय जगदम्बे भवानी
जय जय दुर्गति हारिणी माँ
भक्तो का दुःख हरने वाली
दुष्टो की संघार्नि माँ
जय माँ जय माँ जय जय माँ जय जय माँ
जय माँ जय माँ जय जय माँ जय जय माँ

त्राहिमान भय हारिणी माता चरण शरण में हुं तेरी
पूर्व में माँ इंद्री रक्षक अग्निकोण में मैया अग्निया
दक्षिण में माँ वाराही माता नैवृत्य में ख्ङ्गधारिणी
पश्चिम दिशा में माता वारूणी वायम में मृग वाहिनी
उत्तर में कौमारी देवी शूल धारिणी ईशान में
ऊपर में ब्रह्माणी देवी निचे रक्षक वैष्णवी
दसो दिशाओ में रक्षक है
चामुंडा शव वाहना आगे जाया भवानी रक्षक
पीछे रक्षक माँ विजया
वाम भाग में अंजिका मैया दक्षिण में अपराजिता
उद्योतिनी शिखाओ पर में मस्तक में जगदम्बे माँ
माला धरी ललाट में रक्षक भोहों में माँ यशस्विनी
सदा खिले नथुनो की रक्षक यम घंटा देवी
दो आंखो के बिच संखिनी कानों में द्वार वासिनी माँ
गालों में कालिका भवानी कर्ण गुल भगकी माँ
दांतों की रक्षक मात सुगंधा ऊपर ओठ की चर्चिका
अमृतकला धर पे रक्षक जिव्हा की माँ सारदा
दातो की रक्षक कौमारी कंठ प्रदेश की चंडिका  
गले में है माता चित्रघंटा, माँ महामाया तालुका
थोडी में कामाक्षी देवी सर्वमंगला वाणी में
गर्दन में भद्र काली माता, धनुर्धरी माँ रेड में
कंठ के बाहर माँ नील ग्रीवा, कंठ नली नल भुबरी
कंधो में खंगिनी विराजे बाहो में वज्रधारिणी
दण्डिनी माता हाथो में है अंगुली में है अम्बिका
शुलेश्वरी नखो में सदैव पेट में कुलेश्वरी माता
संरक्षा में महादेवी मन में शोक विनाशिनि
हृदय में ललिता मैयाजी है उदार में शूल धारिणी
नाभि की रक्षा कामिनी देवी गुह्यदेशकी गुह्येश्वरी
पूतना कामिका लिंग देश की,
गुदा देश महिष वाहिनी
जय जय जगदम्बे भवानी
जय जय दुर्गति हारिणी माँ
भक्तो का दुःख हरने वाली
दुष्टो की संघार्नि माँ
जय माँ जय माँ जय जय माँ जय जय माँ
जय माँ जय माँ जय जय माँ जय जय माँ

कमर भाग में भगवती देवी घुटनों में विंध्यवासिनी
महाबला माता जंघो में मने कामना प्रदायिनी
पिंडलियों में नारसिंही माँ पाओ के ऊपर तेजसी
पाओ के ऊँगली की रक्षक तलवासिनी
नख की दंश कराली देवी उध्र्व केशिनी केशो की
रोम रोम की कौबेरी माँ वागेश्वरी त्वचा की
पार्वती माँ वसा मांस संग पार्वती माँ वसा मांस संग
मज्जा रक्त अस्थियों की
मुकुटेश्वरी पेट की रक्षक, कालरात्रि अंतड़ियो की
कुण्डलिनी की प‌द्मावती माँ कफ की चूड़ामणि देवी
ज्वालामुखी नखो में रहके संधि मे आख्या माँ देवी
ब्रह्मानी माँ वीर्य की रक्षक, छाया की छत्रेश्वरी
अहंकार मन और बुद्धि की रक्षक माँ धर्मधारिणी
प्राण अपान उड़ान ज्ञान और समान प्राणवायु जो है
वज्र हस्तक कल्याण शोभना प्राण रक्षीका दोनों है
रंग गंध और स्पर्श रूप रस पांचो में है योगिनी
सत्वरजतम गुण तीनो की संचालक माँ नारायणी
आयु की रक्षक माँ वाराही धर्म की रखक वैष्णवी
यशोहित की लक्ष्मी माता धन विद्या की चक्रिणि
मातृ सुरक्षा माँ इन्द्राणी देवी चंडिका पशुओ की
भैरवी माँ पत्नी रक्षा में महालक्ष्मी पुत्रो की
पथ सुपथ मार्ग की रक्षा, प्रतिदिन क्षेमकरी माता
राजकार्य में महालक्ष्मी, भय में विजया विद्याता
हे माँ वहीं पे रक्षा करना, वर्णित नहीं कवच में जो
पाप हरो दुःख दूर करो माँ,
तुम विजया जगदम्बे हो
आदि अनादि अनंत अगोचर, अखिल भुवन रानी माँ
त्राहिमाम दुख हरणी माता, त्राहिमाम कल्याणी माँ
देश विदेश कही भी रहके, जो देवी का ध्यान करे
और निरंतर मनो भाव से,
नित्य कवच का पाठ करे

जय जय जगदम्बे भवानी
जय जय दुर्गति हारिणी माँ
भक्तो का दुःख हरने वाली
दुष्टो की संघार्नि माँ
जय माँ जय माँ जय जय माँ जय जय माँ
जय माँ जय माँ जय जय माँ जय जय माँ

रोग शोक संताप दूर हो सुख का सूर्यादय होता
मनोकामना होती पूरी जीवन मंगलमय होता
भय से वो निर्भय हो जाते रन में विजयी होते हैं
मनवांछित फल भी पाते जो कवच रक्षित होते हे
मुख्य कवच है ये देवी का, देवो को भी जो दुर्लभ
तीनो संध्या पाठ करे जो, उसे सुरभ होता रोहन
मिलती है देवी की सिद्धि, मिलती है देवी की सिद्धि
और कही भी ना होती
कभी अकाल मृत्यु न होती आयु शताब्दी होती है
रोग व्याधि से मुक्त रहे वो मिट जायें सब चिंतायें
कृत्रिम और प्राकृतिक सारी टल जाती विपदा सारी
मारन सम्मोहन उच्चाटन, तंत्र मन्त्र अविचार हो
जल थल नभ के देव दनुज का, कुटिल कृत्य व्यवहार हो
याश हे चामुंग देवी देवता राकिनी साकिनी माला हो
या अंतरिक्ष में रहने वाले क्रूर दृष्टि सुरबाला हो
भुत पिशाच प्रेत याग्राह्या, यक्ष दैत्य गन्धर्व हो
या बेताल ब्रह्म राक्षस हो, या भैरव कुष्मांड हो
कवच पाठ करता देवी का, उससे संकट दूर रहे
बुद्धि बल तेज सव्त: बढ़ते है
सुख संपत्ति भरपूर रहे
इसकी वृद्धि निरंतर होती भूमण्डल में कीर्ति अमर
सप्तशती से पूर्व कवच जो पाठ करे बड़ भागी नर
जैसे पृथ्वी परवन परवन नभ में सूर्य चंद्र चमके
वैसी वंशवृद्धि होती हैं सदैव पुत्र पौत्र चमके

जय जय जगदम्बे भवानी
जय जय दुर्गति हारिणी माँ
भक्तो का दुःख हरने वाली
दुष्टो की संघार्नि माँ
जय माँ जय माँ जय जय माँ जय जय माँ
जय माँ जय माँ जय जय माँ जय जय माँ

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